मुक़दमे के चलते 11 वर्षों के बाद भी पट्टेदार नही हो पा रहे हैं जमीन पर काबिज,बिखरा सियासत का रंग: रि.प्रदीप यादव / डा0एन.के मौर्य
गोण्डा- गरीब मुफिलसों के लिए एक तरफ जहाँ ग्राम सभाओं मे जमीन पट्टा कर उनके जीवन मे खुशियों का रंग भरा जा रहा है वहीँ वजीरगंज थाने के ग्राम परसापुर महरौड़ मे पट्टे की जमीन ही गरीब के लिए परेशानी का सबब बन गया, जिसमे सियासत का रंग कुछ इस तरह बिखरा कि उक्त जमीन पर मुकदमा कायम करवा दिया गया, जिसके चलते जहाँ डीएम के निर्देश के बावजूद हल्का लेखपाल व राजस्व निरीक्षक उसे नापने मे असमर्थ हैं वहीँ दर्जन भर गरीब लाचार पट्टाधारक पट्टे की जमीन को पाने के लिए लगातार 11 वर्षों से आला हाकिमो के चौखट पर ऐंड़िया घिस रहे है। मगर नाकामी का साया इनके साथ साथ चलता है,और सियासत दारों के आगे इनकी एक नही चलती।
बताते चलें कि विकास खंड वजीरगंज के ग्राम परसापुर महरौड़ मे दिनांक 7 दिसंबर 2007 को ग्राम सभा द्वारा 22 लोगों को पट्टे की जमीन दिलाया गया। जहाँ कुछ अनुसूचित जन जाति के लोग पहले से ही काबिज हैं, जबकि पट्टे की भूमि का गाटा संख्या 33,63 के पट्टेदार पति पत्नी हुसैन बख्श,साबिर, गाटा संख्या 531 के सीता राम, राजपति, 569 के जैराम, मंथू देवी, 429 के राम टहल, संतोष कुमारी, 569 के अकबर अली, नूर जहाँ व 569 के सौकत अली, जुवैदा खातून आदि 6 दम्पतियों को पट्टा होने व खतौनी मे चढ़ने के बावजूद जमीन नही मिल पाया। बताते चलें कि पट्टे की जमीन जाते देख निगरानी समिति के गोपाल,वंशराज,अकबर अली,जहीर, घनश्याम, रफीक, गोबिंदे, हसनू आदि कार्यकर्ताओं ने अदालत का सहारा लेकर उक्त जमीन का कुछ हिस्सा शमसान की भूमि दिखा कर उसका स्टे करवा दिया। शायद यही कारण है कि उक्त पट्टेदार 11 वर्षों से जमीन की चाह मे अदालत से लेकर अधिकारियों तक के चौखट पर माथा टेक रहे हैं मगर पट्टे की जमीन आज भी इनसे दूर है।
* सेक्रेटरी पर लगा सियासत के खेल का आरोप
प्रकरण के सन्दर्भ में जब 75 वर्षीय पट्टेदार अकबर अली से बात हुई तो उन्होंने कहा कि सन 2007 से हम लोगों के नाम पट्टे की जमीन है, जिस पर सेक्रेटरी के हस्तक्षेप से अदालती मुकदमा कायम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने डीएम से भी प्रकरण को अवगत कराया, जिनके आदेशानुसार जब एसडीएम के आदेश पर लेखपाल उसे नापने वहां पहुंचे तो सेक्रेटरी ने वहां पहुँच कर ऐन मौके पर एक कागज़ थमाते हुए नापना बंद करवा दिया।
* क्या कहते हैं हल्का लेखपाल
प्रकरण के सन्दर्भ मे जब हल्का लेखपाल सत्य नारायण तिवारी का कहना है कि वहां गाटा संख्या 452 व 420 कब्रिस्तान के भूमि का है, जिसे लेकर विपक्षियों ने गोण्डा सीआरओ के यहाँ केस फ़ाइल कर दिया, इसलिए उस स्टे के भूमि पर नया आदेश आने तक कुछ नही हो सकता। डीएम के आदेश पर हम वहां गए थे मगर सीआरओ के यहाँ मामला विचारा धीन होने के कारण हम भूमि नाप न सके। अवगत हो कि जब लेखपाल से यह पूछा गया कि क्या कब्रिस्तान के भूमि का पट्टा हो सकता है, अगर नही तो फिर यहाँ पट्टा कैसे हो गया तो उनका जवाब था, ये प्रकरण मेरे कार्यकाल का नही है।
* क्या कहते हैं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि
प्रकरण के सन्दर्भ मे जब पट्टेदारों की दुश्वारियों को लेकर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मो0 रियाज से बात हुई तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नही कि समस्त पट्टेदार काफी गरीब हैं, जबकि विपक्षी लोग पैसे वाले हैं, जिनके द्वारा राजनीतिक दबाव के चलते पट्टेदारों को कब्ज़ा नही मिल रहा है। कब्रिस्तान के भूमि के बारे मे उन्होंने कहा कि उस वक़्त ये भूमि नवीन पर्ती के हिस्से मे दर्ज थी, बाद मे ये फेरबदल हुआ है, इससे साफ़ जाहिर होता है कि यहाँ कुछ ऊँचे रसूख के सियासती खेल के चलते गरीब पट्टेदारों की दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं जिनके दिलों में उठ रहे दर्द के सैलाब को भाँपने वाला शायद कोई नहीं हैमीन पर काबिज
प्रदीप यादव / डा0 एन.के मौर्य
गोण्डा- गरीब मुफिलसों के लिए एक तरफ जहाँ ग्राम सभाओं मे जमीन पट्टा कर उनके जीवन मे खुशियों का रंग भरा जा रहा है वहीँ वजीरगंज थाने के ग्राम परसापुर महरौड़ मे पट्टे की जमीन ही गरीब के लिए परेशानी का सबब बन गया, जिसमे सियासत का रंग कुछ इस तरह बिखरा कि उक्त जमीन पर मुकदमा कायम करवा दिया गया, जिसके चलते जहाँ डीएम के निर्देश के बावजूद हल्का लेखपाल व राजस्व निरीक्षक उसे नापने मे असमर्थ हैं वहीँ दर्जन भर गरीब लाचार पट्टाधारक पट्टे की जमीन को पाने के लिए लगातार 11 वर्षों से आला हाकिमो के चौखट पर ऐंड़िया घिस रहे है। मगर नाकामी का साया इनके साथ साथ चलता है,और सियासत दारों के आगे इनकी एक नही चलती।
बताते चलें कि विकास खंड वजीरगंज के ग्राम परसापुर महरौड़ मे दिनांक 7 दिसंबर 2007 को ग्राम सभा द्वारा 22 लोगों को पट्टे की जमीन दिलाया गया। जहाँ कुछ अनुसूचित जन जाति के लोग पहले से ही काबिज हैं, जबकि पट्टे की भूमि का गाटा संख्या 33,63 के पट्टेदार पति पत्नी हुसैन बख्श,साबिर, गाटा संख्या 531 के सीता राम, राजपति, 569 के जैराम, मंथू देवी, 429 के राम टहल, संतोष कुमारी, 569 के अकबर अली, नूर जहाँ व 569 के सौकत अली, जुवैदा खातून आदि 6 दम्पतियों को पट्टा होने व खतौनी मे चढ़ने के बावजूद जमीन नही मिल पाया। बताते चलें कि पट्टे की जमीन जाते देख निगरानी समिति के गोपाल,वंशराज,अकबर अली,जहीर, घनश्याम, रफीक, गोबिंदे, हसनू आदि कार्यकर्ताओं ने अदालत का सहारा लेकर उक्त जमीन का कुछ हिस्सा शमसान की भूमि दिखा कर उसका स्टे करवा दिया। शायद यही कारण है कि उक्त पट्टेदार 11 वर्षों से जमीन की चाह मे अदालत से लेकर अधिकारियों तक के चौखट पर माथा टेक रहे हैं मगर पट्टे की जमीन आज भी इनसे दूर है।
* सेक्रेटरी पर लगा सियासत के खेल का आरोप
प्रकरण के सन्दर्भ में जब 75 वर्षीय पट्टेदार अकबर अली से बात हुई तो उन्होंने कहा कि सन 2007 से हम लोगों के नाम पट्टे की जमीन है, जिस पर सेक्रेटरी के हस्तक्षेप से अदालती मुकदमा कायम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने डीएम से भी प्रकरण को अवगत कराया, जिनके आदेशानुसार जब एसडीएम के आदेश पर लेखपाल उसे नापने वहां पहुंचे तो सेक्रेटरी ने वहां पहुँच कर ऐन मौके पर एक कागज़ थमाते हुए नापना बंद करवा दिया।
* क्या कहते हैं हल्का लेखपाल
प्रकरण के सन्दर्भ मे जब हल्का लेखपाल सत्य नारायण तिवारी का कहना है कि वहां गाटा संख्या 452 व 420 कब्रिस्तान के भूमि का है, जिसे लेकर विपक्षियों ने गोण्डा सीआरओ के यहाँ केस फ़ाइल कर दिया, इसलिए उस स्टे के भूमि पर नया आदेश आने तक कुछ नही हो सकता। डीएम के आदेश पर हम वहां गए थे मगर सीआरओ के यहाँ मामला विचारा धीन होने के कारण हम भूमि नाप न सके। अवगत हो कि जब लेखपाल से यह पूछा गया कि क्या कब्रिस्तान के भूमि का पट्टा हो सकता है, अगर नही तो फिर यहाँ पट्टा कैसे हो गया तो उनका जवाब था, ये प्रकरण मेरे कार्यकाल का नही है।
* क्या कहते हैं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि
प्रकरण के सन्दर्भ मे जब पट्टेदारों की दुश्वारियों को लेकर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मो0 रियाज से बात हुई तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नही कि समस्त पट्टेदार काफी गरीब हैं, जबकि विपक्षी लोग पैसे वाले हैं, जिनके द्वारा राजनीतिक दबाव के चलते पट्टेदारों को कब्ज़ा नही मिल रहा है। कब्रिस्तान के भूमि के बारे मे उन्होंने कहा कि उस वक़्त ये भूमि नवीन पर्ती के हिस्से मे दर्ज थी, बाद मे ये फेरबदल हुआ है, इससे साफ़ जाहिर होता है कि यहाँ कुछ ऊँचे रसूख के सियासती खेल के चलते गरीब पट्टेदारों की दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं जिनके दिलों में उठ रहे दर्द के सैलाब को भाँपने वाला शायद कोई नहीं है l