14 वर्ष तक बच्चे को अपने अभिभावक की सेवा करना चाहिये,धर्म के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों का अंत हो,मनोज अवस्थी रि.नीरज साहू
झांसी। सीपरी बाजार स्थित जागेश्वर महादेव एवं दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन आचार्य मनोज अवस्थी ने कहा कि आज माता-पिता अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही बाहर पढऩे को भेज देते हैं, इस पर रोक लगाने के लिए संसद में कानून पास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कम से कम 14 वर्ष तक बच्चे को अपने अभिभावक की सेवा करना चाहिये। कथा व्यास ने आज तीसरे दिन नारद मोह एवं श्रीराम जन्म की कथा का विस्तार से वर्णन किया। अपने श्रीमुख से मानस मंदाकिनी का पावन प्रवाह करते हुये आचार्य मनोज अवस्थी ने कहा कि मनुष्य को सुंदर बनने के लिए किसी दर्पण की जरुरत नहीं है, बल्कि अपने मन रुपी दर्पण को बदलना होगा। मन का आईना कभी टूटता नहीं है, कभी झूठ नहीं बोलता। आचार्य ने कहा कि आज किसी की बेटी जो दूसरे के घर में बहू बनकर जाती है और उसे मार दिया जाता है तो उसके माता-पिता ससुराल वालों को सजा दिलाने के लिए अपना सब कुछ बेचने तक का मन बना लेते हैं, लेकिन देश में ऐसे ऐसे भी करोड़ों माता-पिता हैं, जो अपनी बहू के गर्भ में पलने वाली नन्हीं बच्ची को मार देते हैं। ऐसे माता-पिता को कड़ी सजा दिये जाने की जरुरत है। भ्रूण हत्या पर करारा प्रहार करते हुए महाराज ने कहा कि प्रत्येक संतान चाहे वह बेटा हो या बेटी ईश्वर की अनुपम भेंट मानकर हर्षाेल्लास से स्वीकार कर अच्छे से उसका लालन-पालन करना चाहिए। श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या के राजा दशरथ के यहां एक भी संतान नहीं थी तो वे मायूस होकर अपने गुरुदेव के पास पहुंचते हैं और अपनी इच्छा बताते हैं। गुरुदेव के आशीष से उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति होती है। कथा में श्रीराम जन्म का प्रसंग आते ही पाण्डाल में बैठे लोग खुशी से झूम उठे तो मंच से संगीतकारों ने बधाईयां गीत गाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। समूचा पण्डाल गुब्बारों एवं पुष्प लताओं से सजाया गया था। उन्होंने कहा कि बेटियों एवं बेटा के पालन में भेदभाव नहीं होना चाहिए और बेटियों में पुरुषों की तरह अहंकार नहीं होना चाहिए, अन्यथा उनका जीवन दुखमय हो जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्यों का अहंकार तो उसकी मूंछ में आ जाता है, किंतु मूंछ वाले कभी-कभी जीतकर भी हार जाते हैं और बिना मूंछ वाले अर्थात महिलायें हारकर भी जीत जाती हैं। प्रारंभ में महापौर रामतीर्थ सिंघल, पूर्व मंत्री रविन्द्र शुक्ल, उपसभापति बंटी बुंदेला, मुख्य यजमान श्रीमती शशि-शिवाकांत अवस्थी, आदित्य अवस्थी, महेंद्र शर्मा, बुन्देलखण्ड प्रेस वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष शीतल तिवारी, प्रकाश पंडित, गोविंद भावे, असित खरे आदि ने महाराज श्री का माल्यार्पण कर मानस ग्रंथ की आरती उतारी। संचालन डा. चन्द्रकांत अवस्थी ने एवं उमाकांत अवस्थी आभार व्यक्त किया ।