मऊरानीपुर झांसी ग्राम बगरोनी मे मनरेगा के तहत जो मजदूर काम कर रहे हैं उन मजदूरों को काम करने की मजदूरी 4 महीने या 6 महीने मैं दी जा रही है मजदूर परेशान हैं यह आलम 1 ग्राम पंचायत का नहीं है हर ग्राम पंचायत में यही हाल है सरकार के बड़े बड़े वादे थे की वह मजदूरों को बाहर पलायन नहीं करने देंगे हम उन्हें उन्हीं के गांव में रोजगार देंगे लेकिन मजदूर परेशान हैं क्योंकि घर चलाने के लिए पैसे चाहिए जब पैसे ना हो तो मजदूर लोग कहां से कैसे चलाएंगे वैसे ही सूखे की मार झेल रहे मजदूर काम करेंगे 4 महीने पहले और उनको 4 महीने बाद भुगतान होगा बीजेपी सरकार चुनाव से पहले वादा करती थी कि हम मजदूरों को बाहर के लिए पलायन नहीं करने देंगे जिस पर मजदूर परेशान होकर अपना घर बार छोड़कर बाहर के लिए पलायन कर रहे हैं क्योंकि सूखाग्रस्त क्षेत्र पहले से ही है जब कुछ खाने के लिए नहीं होगा तो बाहर जाना तो जरूरी है योगी सरकार बातें करती है कि हम रोजगार घर में ही देंगे हम यूपी के मजदूरों को यूपी में ही काम देंगे लेकिन सब हवा-हवाई बातें हैं वादे हैं चुनाव आएंगे तो फिर यही वादे कहने लगेंगे यही जुमले होने लगेंगे मजदूर और किसान मर रहा है जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है सरकार का ध्यान है तो बस पूंजीपति अरबपतियों पर मनरेगा के तहत जो मजदूर काम कर रहे हैं उन्हें चार 6 महीने के पहले मजदूरी नहीं मिलती किसी किसी की तो मजदूरी सालों से पढ़ी हुई है अभी तक उनकी मजदूरी उनके पास नहीं पहुंची ना ही उनको पैसा मिला मजदूरी का अगर वह ग्राम प्रधान से कहते हैं तो प्रधान जी कहते हैं कि मैंने तो खाते पर डाल दिए थे अब जाने क्यों आपका खाता सही है या नहीं और उसी खाते पर कई बार पैसा आ भी चुके हैं और उसी खाते पर कुछ पैसे आए भी हैं तो प्रधान जी ऐसे जवाब देते हैं मजदूर परेशान हैं प्रधानों की भेंट चढ़ रहा है मनरेगा अगर मजदूर गड्ढा डाले 5 यानी कि खती खोजें 5 तो उसे 4 गड्ढों का भुगतान मिलेगा वह भी चार छह महीने बाद जिस पर मजदूर बेबस होकर बाहर के लिए पलायन कर रहे हैं सरकार कहती है बड़े-बड़े बातें निभाती एक भी वादा नहीं मऊरानीपुर विधानसभा के जनप्रतिनिधि बिहारी लाल आर्य ने यह थे बड़े बड़े वादे की सरकार आने पर हम अपने मजदूर भाइयों को उनके ही गांव में रोजगार देंगे मनरेगा के तहत लेकिन यहां तो हकीकत कुछ और ही है मजदूर कहता है जो मनरेगा करेगा वह मरेगा क्योंकि मनरेगा का पैसा 4 या 6 महीने में मिलेगा तब तक हम अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे या खुद खाएंगे
रिपोर्टर अमित समेले झांसी दर्शन ग्रामीण एडिटर ब्यूरो धीरेंद्र रायकवार