उत्तर प्रदेश कुश्ती चैम्पिंयन का निधन,बुन्देलखण्ड केशरी ने दी मुखाग्नि:मधुर यादव
झांसी जनपद एरच। कहते है कि प्रतिभाये परिस्थितियों का मोहताज नही होती, वह निखार था झांसी के छोटे से गांव डिकौली, एरच मे पैदा होने वाले , इन उस्ताज मे, जिन्होने न केवल अपने रेसलिंग के कैरियर मे दांव पैच का कार्य दिखाकर बुन्देलखण्ड को अपना दिवाना बनाया बल्कि उत्तर प्रदेश स्तर के रेसलिंग की दुनियां मे पहुंचने वाले झांसी से वह पहले पहलवान थे । जी, हां आपको बता रहा हूं झांसी के एरच अन्र्तगत डिकौली गांव मे सन- 1945 मे जन्मे संतराम पाल, के बारे मे जिन्होने देश स्वतंन्त्र होने के पश्चात, बुन्देलखण्ड मे कुश्ती का नाम समूचे सूबे मे
पोते गनपत
जगमगाया, और अपने गुर सिखा
कर कई पहलवानों को उत्तर प्रदेश राज्य कुश्ती एशोशियसन तक पहंुचाया, मतलब साफ है कि अपनी 72 बर्ष की जिन्दगी मे उन्होने कुश्ती को जितना महात्व दिया शायद किसी को नही दिया । ये मिल चुके है पुरूस्कार- बर्ष- 1978 मे, उत्तर प्रदेश कुश्ती चैम्पियंन बर्ष- 1983 मे, सर्वश्रेठ कोच, कुश्ती, उत्तर प्रदेश बर्ष- 1999 मे , सर्वश्रेष्ठ निर्णायक कुश्ती, उत्तर प्रदेश क्या कहते है परिजन- उनकी मौत का कारण लम्बी जिन्दगी और लम्बा अनुभव व स्वभाविक बतायी जा रही है परिजनो मे उनके पोते गनपत पाल ने मीडिया को जानकारी देते हुये बताया कि मेरे दादा जी एक चैम्पियंन होने के नाते अनुशासन के बडे परिपक्य थे जिसकी बजह से उनका मानना था कि होटल आदि का खाना नही खाना चाहिये और वह खाने पीने के अलावा पहलवान हमको भी बनाना चाहते थे लेकिन परिस्थितियां नाकारात्मक रही और दादाजी का सपना बाकी रहा, वहीं आज लगभग सुबह 10 बजे उनके इन्तकाल पर समूचे प्रदेश के पहलवान शोक मे शामिल होने गांव डिकोली आये है एवं बुन्देलखण्ड केशरी पहलवान चरन यादव ने उन्हे मुखाग्नि दी।